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Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

Romance

4.0  

Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

Romance

मेरे खयालों में तू जलवागर है

मेरे खयालों में तू जलवागर है

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मेरे खयालों में तू जलवा गर है।

तेरा नाम लब पर तो शामो सहर है

तेरे खयालों में रहते हैं हर दम।

आंखों में नींदे नहीं रात भर है

मैं डूब जाऊंगा आंखों में तेरी।

बहुत खूबसूरत तुम्हारी नजर है।


तू रुखसत हुई थी मुझे छोड़कर जब।

तभी से तो मुश्किल हमारा सफर है।

 

लिखेंगे मुहब्बत का अफसाना जो भी।

तू ही मेरी मंजिल तू ही रह गुज़र है

वो खुद धूप में रहकर देता है साया।

जो वालिद है,घर का पुराना शजर है।


सुनो लोगों सच्चा वो मोमिन नही है।

अपने पड़ोसी से जो बे खबर है

मुफलिसी की रिदा तान कर सो गया है।

सगीर अब परीशां तो हर इक बशर है।



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