मेरे जीवन साथी
मेरे जीवन साथी
यहीं से इसी क्षण से,
मैंने जीवन और घर,
अपना तुम्हें सौंप दिया,
अब से तुम ही अर्धांगिनी मेरी,
तुम ही मेरी प्राणप्रिया,
मैंने भी अब से जीवन और,
हर कर्म तुझे अर्पण किया,
अब से तुम ही जीवन का अर्थ
जीवन की खुशियों का मोती,
हाथ तेरे मैंने सौंप दिया,ओ पिया,
जीवनसंगिनी ओ जीवन सुधा,
रस भरी मेरे जीवन की,
अब से तुम ही हो लता,
मैं दिल तुम्हीं धड़कन,
हो मेरी प्राणप्रिया,
तुम्हें पाकर मैं धन्य हुई,
यही इसी क्षण मैंने तुम्हारी मोन,
प्रेम की भाषा को मन ही मन,
पढ़ लिया,ओ पिया,
अब से जीवन का हर,
रस भरा क्षण यहीं से,
प्रारंभ हुआ,
अब से मैं तुम्हारा,
और तुम मेरी हो,
प्राणप्रिया,
सात फेरों के सात वचन का,
यही से अर्थ प्रारंभ हुआ,
जब सात फेरों के,
बंधन में बंध गए हम दोनों,
तब,
मैं और तुम नहीं,
अब से हम प्रारंम्भ हुआ।

