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Ritu Garg

Abstract Romance Inspirational

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Ritu Garg

Abstract Romance Inspirational

मेरे हमसफ़र

मेरे हमसफ़र

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297


तुम प्रेम हो मेरा गीत हो, 

मेरे होठों की सरगम हो तुम।

मेरे मन की चाहत तुम ही हो,

मेरे दिल की धड़कन भी हो तुम।

हल्की सी आहट भी तुम हो,

 हर धड़कन का जवाब हो तुम।


इस दिल की खुशी भी तुम हो,

मुस्कुराहट भी तुम ही हो।

गीत और गजल भी तुम हो,

सुर संगीत भी तुम ही तो हो।

मोहब्बत का मीत हो तुम,

सांसो की खुशी भी तुम हो।


सर्द हवाओं का झोंका हो तुम,

तन मन का आंचल तुम ही हो।

तुम ही से है अरमान मेरे,

जीने की राह भी हो तुम।

प्यार की जीत हो तुम,

 मेरा मनमीत हो तुम।


फूलों से खुशबू हो तुम,

वीणा की झंकार हो तुम।

जीवन का आनंद भी तुम हो,

सुनहरे सपने भी तुम ही हो।


पतझड़ में बाहर हो तुम,

सावन की फुहार हो तुम।

प्रेम का दीपक भी तुम हो,

दिल का उजाला हो तुम।


खामोशी को पढ़ने वाली,

चुलबुली तस्वीर हो तुम।


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