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Arunima Bahadur

Action

4  

Arunima Bahadur

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मेरे दोस्त, केवल तुम

मेरे दोस्त, केवल तुम

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ए दोस्त,

तेरी यादों में,

कितना रोये हम,

कभी सिसकती आंखों से,

कभी मौन की बातों से,

तुझमे खोए हम।


हे कान्हा,

मेरे सखा,

कैसे पाऊं तुझे,

प्रेम की गहराइयों में,

अंतस की नगरी में,

मिल पाऊं तुझे।


तू ही तो एक सखा है मेरा,

तू ही तो रखवाला हैं,

तेरे ही इक्षा से ही,

चलता जग सारा हैं।


आ जाओ न फिर से,

कष्ट हमारा भी हरो।

कराहती पुकार हमारी,

आज एक बार सुनो।


चल चले एक बार फिर से,

माखन चोरी कर आये,

भूखे बचपन को फिर से,

पोषित तो कर आये।


आ जाओ फिर से,

रास लीला भी रचो,

भक्तों के हृदय कमल पर,

अपने पग तो धरो।।


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