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Dr. Gopal Sahu

Romance

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Dr. Gopal Sahu

Romance

" मेरे दिल के गुफ़ा में "

" मेरे दिल के गुफ़ा में "

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घर - द्वार और तख़्त - ताज सब छोड़ आया जिसके के लिए  

मेरे  दिल  की गुफा में आज भी उसकी तस्वीर लगी है


एकतरफ़ा इश्क़ में नामुमकिन था मुमकिन के संग गुफ़्तगू करना 

मेरे नादानी के वजह से ही, आज मेरी क़िस्मत को ठोकर लगी है 


भूलना  चाहा  उसके  साथ  बीते  हर  लम्हा  को, मग़र ! 

मेरे जिस्म के हर पुर्जे पर उसके नाम का तख़्त लगी है 


मुश्किल लगता है, मुझे दास्ताँ ए - मोहब्बत बयाँ करना, मग़र!  

फ़लक से आये फ़रिश्ता को भी ज़मीं पर इश्क़ की ज़िद लगी है।


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