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Adv. Anjali Pandey

Abstract

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Adv. Anjali Pandey

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मेरे दिल के अरमानों को

मेरे दिल के अरमानों को

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सुन-ए-ज़िन्दगी...

तेरी खुशी की खातिर मेरे दिल के अरमानों को कुचला है मैनें...

तेरे दिल के अरमान पूरा करने को दर्द भी सहा है मैनें...

फिर जब लगे लहू उगलने मेरे पांव के छाले...

उस पर भी हँसकर मेरे दिल के अरमानों को "आतंकी" सा कुचला है मैनें...!!


तेरी बुज़दिली की खातिर मेरे दिल के अरमानों को तन्हा किया है मैनें...

तेरे ख्वाबों की खातिर खुद को भी तन्हा किया है मैनें...

फिर जब लगे लहू उगलने मेरे पांव के छाले...

उस पर भी मुस्कुराकर मेरे दिल के अरमानों को "आतंकी" सा तन्हा किया है मैनें...!!


तेरी खामोशी की खातिर मेरे दिल के अरमानों को मारा है मैनें...

तेरे लफ़्ज़ों की खातिर खुद के अल्फाजों को भी मारा है मैनें...

फिर जब लगे लहू उगलने मेरे पांव के छाले...

उस पर भी चुप रहकर मेरे दिल के अरमानों को "आतंकी" सा मारा है मैनें...!!



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