हां मुझे अब कोई फर्क पड़ता नहीं
हां मुझे अब कोई फर्क पड़ता नहीं
सुन-ए-ज़िन्दगी...
तेरा वो रूठना, रूठकर फिर मुस्कुराना...
बड़ा याद आता है आज भी...
दिल मेरा तोड़कर तेरा यूँ जाना...!!
तुझ सा अब मुझे कोई मिलता नहीं...
कैसे कह दूं कि हां मुझे अब कोई फर्क पड़ता नहीं...??
तुझसे रूठकर मुझे नहीं जाना कहीं...
फिर क्यों रूठकर मुझसे तुम दूर इतनी हो गई...??
तेरा वो मुस्कुराना, मुस्कुराकर मेरा दिल दुखाना...
बड़ा याद आता है आज भी... दिल मेरा तोड़कर तेरा यूँ जाना...!!
तुझ सा अब कोई दिल दुखाता नहीं...
कैसे कह दूं कि हां मुझे अब कोई फर्क पड़ता नहीं...??
तुझसे बिछड़कर मुझे नहीं रहना कहीं...
फिर क्यों रूठकर मुझसे तुम दूर इतनी हो गई...??
