तेरी यादों के लिफाफों में
तेरी यादों के लिफाफों में
सुन-ए-ज़िन्दगी...
आज भी दिल की तस्वीरों में ज़िंदा रखती हूँ मैं तुझे...
नहीं किसी से कुछ कहती पर दुनिया से छिपाकर रखती हूँ मैं तुझे...
फिर भी तू जो रूठ गई है न मुझसे...
कैसे कहूँ तेरी यादों के लिफाफों में आज भी कैद रखती हूँ मैं तुझे...?
आज भी दिल के दर्द में छिपकर लिखती हूँ मैं तुझे...
नहीं किसी से कुछ कहती पर हर अल्फ़ाज़ में लिखती हूँ मैं तुझे...
फिर भी जो तू दूर गई है न मुझसे...
कैसे कहूँ तेरी यादों के लिफाफों में आज भी लिखती हूँ मैं तुझे...?
आज भी दिल की ख्वाहिशों में ढूंढती हूँ मैं तुझे...
नहीं किसी से कुछ कहती पर हर दस्तक़ में ढूंढती हूँ मैं तुझे...
फिर भी तू जो भूल गई है न मुझको...
कैसे कहूँ तेरी यादों के लिफाफों में आज भी ढूंढती हूँ मैं तुझे...?