कर गलत उतना ही
कर गलत उतना ही
कर गलत उतना ही बर्दाश्त जितना खुद कर सके...
और जो घोला है हलाहल हर दिल खुद ने...
तो करके नित आराधना उस अघोरी शिव की..
हर दिन अब पाखण्ड क्यों है करे...?
कर गलत उतना ही बर्दाश्त जितना खुद कर सके...
और जो घोला है हलाहल हर दिल खुद ने...
तो करके नित आराधना उस अघोरी शिव की..
हर दिन अब पाखण्ड क्यों है करे...?