मेरे बचपन का भारत
मेरे बचपन का भारत
सच कहता हूँ,
मैंने सुभाष चन्द्र बोस,
की वीरता को पढ़ा,
बापू की अहिंसा को पढ़ा,
तिरंगे पे शान है,
तिरंगा अभिमान है,
मंगल पांडे सा शौर्य,
लक्ष्मीबाई की वीर गाथा,
तात्या टोपे का बलिदान,
राणा प्रताप की वीरता,
यही था, यही था, यही,
मेरे बचपन का भारतI
रामायण से सीखा,
श्रीराम जैसा व्यक्तित्व,
तो महाभारत में जाना,
नैतिकता और कर्तव्य,
श्रीकृष्ण के गीता ज्ञान,
पढ़ा नागरिकता को,
देशभक्ति का ओज,
मन में हिलोरे लेता था,
आजादी के मतवालों को,
खुद में महसूस करता,
क्रांतिकारी बन इठलाता,
चंद्रशेखर आज़ाद तो,
कभी नेहरु बन जाता,
बहुत जीवंत था,
मेरे बचपन का भारतI
जनसंख्या विस्फोट था,
बढ़ती बेरोजगारी थी,
कारगिल का युद्ध हुआ,
कई राज्यों का विभाजन,
अटल जी के भाषण थे,
सोसायटी के राशन थे,
केरोसिन के लिए लाईन,
और विद्यालय में फ़ाईन,
बस यही अपना वजूद था,
तब ना मोबाइल थे,
ना कोई नेट का झंझट,
पीसीओ से बातें कम,
और परीक्षा में रातें कम,
बड़ा प्यारा था,
मेरे बचपन का भारतI
अब तो जैसे खो दिया है,
उन पुराने खेलों को,
गिल्ली-डंडा, प्यारे कंचे,
वो लुका-छिपी, पहाड़-पानी...
वो कागज की नाव,
वो गोल-गोल रानी,
नदियों में मछली मारना...
खेतों में पतंग उड़ाना,
डोगा, ध्रुव, परमाणु,
नागराज के कॉमिक्स,
अब अजब मोबाइल है,
यूट्यूब और फेसबुक,
ये दिल कहता है,
सब बदला-बदला है और,
लगभग खो सा गया है,
मेरे बचपन का भारतI