आम नागरिक हूँ
आम नागरिक हूँ
हाँ! मै कोई नेता नहीं,
मै शामिल हूँ भीड़ में,
या कहूँ एक भीड़ हूँ,
भारत के संविधान में,
मेरा ही अधिकार है,
सबका आधार भी हूँ,
बदलाव को तैयार भी,
मै खुद पर नाज़ करता,
एक आम नागरिक हूँI
मुझसे ही बना है रंग - वर्ग,
धर्म और जाति का आरेख,
मै खुद मजबूर भी हूँ और,
खुद का कल्याण करता हूँ,
आन्दोलन का स्त्रोत हूँ,
तो शांति का परिचायक भी,
हाँ! मै आम नागरिक हूँI
मिट्टी में सोना उगाता हुआ,
एक मेहनतकश किसान हूँ,
ईंट-मिट्टी-गारा ढोता हुआ,
निर्माणकारी मजदूर हूँ,
एक पसीने से तर-बतर,
एक अथक कूली हूँ,
सोने के जेवर बनाता,
एक इमानदार सुनार हूँ,
देश में हर वर्ग मुझ से है,
मुझसे बनती है कहानी,
मै खुद पर नाज़ करता,
एक आम नागरिक हूँI