तलाक
तलाक


हो गयी थी प्यारी बेटी,
मगर बेटे की चाह थी,
दुधमुहे बच्ची की,
ना किसी को परवाह थी,
माँ कहती रही,
बेटी-बेटे में फर्क क्या करना,
सास मगर अड़ गयी,
के बेटा एक हो अपना,
ससुर जी तो निराले निकले,
दिमाग से हीं दिवाले निकले,
बेटा चाहिए, बेटा चाहिए,
करके मुछे फड़काने लगे,
आखिरकार पढ़ी-लिखी,
बहु ने पति दो-टूक पूछा,
क्या चाहिए तुम्हे बस बेटा?
नालायक पति झल्लाया,
उसे बीवी पर गुस्सा आया,
ज्यादा ना बोल बावरी,
चेहरे पर तड़ाक दूंगा,
ज्यादा कीं-कीं करी तो,
तुझको तलाक दूंगा,
बीवी कुछ पल को,<
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डरकर सहम सी गयी,
कुछ पल रोई वो नारी,
मगर आंसू पोछकर,
बोली,गलती थी हमारी,
मत समझना अबला,
मै किसी की प्यारी हूँ,
मै हूँ ममता की मूरत,
मै काली, दुर्गा नारी हूँ,
अरे! बेटे के लोलुप,
मैं अपनी बेटी साथ,
सामान साथ लेती हूँ,
तू क्या देगा मुझको,
ले मैं तलाक देती हूँ,
बरस-बरस बीत गये,
पति ने दूसरी शादी की
उसका पति नहीं सुधरा,
हो गयी पांच बेटियां ,
बेटे की जिद्दी चाहत में,
बीवी उसकी वापस आई,
बरसों बाद सुलह हुआ,
आज उसी बीवी का,
बेटा हुआ, बेटा हुआ.....