Deepak Kumar Soni

Inspirational

2  

Deepak Kumar Soni

Inspirational

आवाज़

आवाज़

1 min
277


कचरे में कचरा फेंका,

फेकी टूटी बोतलें भी,

फेंक दिया सड़ी सब्जी,

फेंक दी बासी चाव।,


भर चुका था कचरादानी,

लिख रहा था नई कहानी,

जिसमे भर चुका था पानी,

तभी हुआ ये दिल नाराज़,

आई आत्मा की आवाज़।


मत फेंक इस तरह,

कचरा तितर-बितर,

किसी दिन कूड़े सा,

दिखेगा तेरा भी घर।


हुआ पछतावा मुझे,

कचरा फेंकने लगा,

सूखा में सूखा कचरा,

गीले में गीला कचरा।


जगमग करने लगा,

गली मेरा मोहल्ला,

बदल गया अंदाज़,

जब से सुन ली है,

आत्मा की आवाज़।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational