मेरा वो बचपन
मेरा वो बचपन
वो बीता मौसम फिर चौखट पे आया है
यारों का काफिला जाने कब आएगा।
खोई थी जो तस्वीर, आज दराज में मिल गई
अब शायद मेरा वो बचपन भी लौट आएगा।
दरवाजे की घंटी बजे तो आगे दौड़ते थे हम
अब तो सोफे से उठने पर भी मुँह बनाते है।
मेहमान के आने की खबर से चहकते थे
अब व्यस्त होने का रोज़ ही बहाने बनाते है।
खोई थी जो तस्वीर, आज दराज में मिल गई
अब शायद मेरा वो बचपन भी लौट आएगा।
नानी की बालों की चम्पी से कतराते थे
फिर भी उसकी फटकार पर चटाई में बैठे थे।
आजकर शैम्पू और कन्डीशनर बहुत है
पर बाल तो सर से ज्यादा ज़मीन पर पड़े थे।
खोई थी जो तस्वीर, आज दराज में मिल गई
अब शायद मेरा वो बचपन भी लौट आएगा।
दांतों से अपनी कलाइयों पर घड़ी बनाते थे,
दो पंछी को देखकर खुशियों की दुआ करते।
अब तो वक्त भी पाबंदियों में बंध गए है
ठहाके पार्टीयों के इन्तजार में बैठे सिकुड़ते।
खोई थी जो तस्वीर, आज दराज में मिल गई
अब शायद मेरा वो बचपन भी लौट आएगा।
