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Radha Shrotriya

Fantasy

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Radha Shrotriya

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मेरा मन क्यूँ तुझे चाहे

मेरा मन क्यूँ तुझे चाहे

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जबाब खुद के पास ही नहीं है जब,,

मन की बात सुन लेने में हर्ज भी नहीं है तब.. 

चलो कुछ लम्हे व्यस्त जिंदगी से चुरा कर, 

मन की सुने 

मन की बात करें 

मन से प्यार करते हैं। 

दूर पहाड़ी पर चलते हैं 

हवा की सदा सुनते हैं ।

1,2,3,4 चल तू मुझे पकड़  

गिनती शुरू करते हैं ।

अरे...रे.. रे.. रुको! रुको ना

हम संग संग चलते हैं.. 

थोड़ा रोमांस करते हैं.. 

छोटी छोटी ये बातें हैं, 

प्यार भरी मुलाकातें हैं 

उम्र भर के लिए सौगातें हैं ।

सुनो! थोड़ा सा और करीब आओ ना.. 

थोड़ी पागलपंथी करते हैं, 

बडों बाली बातें करते हैं 

इश्क़ में हद से गुजरते हैं ।

सुनो ना.. 

हम नीचे वापस चलते हैं, 

कानों में खुसुर_पुसूर करते हैं 

मम्मी पापा से हम डरते हैं ।

मन को हम मनाकर, 

मन की बात करते हैं 

घर वापस चलते हैं...


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