मेरा कॉलेज मुझे बुला रहा
मेरा कॉलेज मुझे बुला रहा
कुछ दिन बाद ऐल्यूमिनाई है
गप्पों का दौर चलेगा फिर से
आगरा से मैंने एम बी बी एस की
बात करता हूँ मैं शुरू से।
मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हुआ
जहां से आया, क़स्बा छोटा था
पंत हॉस्टल में डेरा डाला
रेग्गिंग का क़हर उसी दिन टूटा था।
कुछ लोग जो पहले से जानते
सीनीयर्स से सेटिंग थी उनकी
चले गए वो पिक्चर देखने
बुद्धु हम खड़े पहन के चड्ढी।
वो यादें अभी भी हैं ताज़ा
ट्रेन बनाई और थप्पड़ खाए
कुछ दिन बाद सब ख़त्म हो गया
वही सीनियर्स हमको भाए।
शौक़ था टी वी देखने का हमें
अकेले ही हम देखें दिन भर
सीनियर्स कहें, पढ़ भी लिया करो
पास हो गए, निकल गया डर।
सुबह उठना फ़ितरत में नही था
पहला लेक्चर हम गए ना कभी
अच्छे दोस्त कुछ हमारे
रोज़ लगा देते प्रॉक्सी ।
कोई पढ़ रहा फ़र्स्ट आने को
कोई कर रहा सेटिंग अपनी
मस्त मौला थे हम तो उस समय
जानें इस सब में सार कोई नहीं।
स्त्रियों से हम दूर ही रहते
हेलो - हाय तक सीमीत बातें
गर्ल्ज़ हासटल की ख़बर थे रखते
कौन कौन वहाँ करे मुलाक़ातें।
कई ग्रूप बन गए क्लास में
एक ग्रूप दिल्ली वाला था
वो इंग्लिश बोलें, हम हिंदी
रहता था वो थोड़ा कटा कटा सा।
एंटी लसू ग्रूप में हम सारे
नाम दिया था उसको फैंटी
रात रात भर महफ़िल चलती थी
याद करके हो जाता सेंटी।
एक अलग ग्रूप लोकलस का भी
उसमें भी कुछ यार थे अपने
सभी ग्रूप, सभी लोग अनूठे
सबके अपने अपने सपने।
याद आती कुल्हड़ की चाय
ताजमहल सपने में आए
राजा मंडी की तंग गालियाँ
स्पोर्ट्स फ़ेस्टिवल की रंगरलीयां।
बंक मारकर पिक्चर जाना
पोस्टपॉन परीक्षा कराना
पेपर से पहले नींद ना आना
हफ़्तों हफ़्तों भर ना नहाना।
कॉलेज की यादें बहुत सी
कभी भांग पी, कभी पत्ते खेले
कुछ अलग सी पिक्चर भी देखीं
एक कमरे में, बीस लोगों ने।
दोस्तों की द्विअर्थी बातें
गप्पें जो मारीं, वो सारी रातें
बायस हॉस्टल के फ़ंक्शन का नजारा
मूवी देखीं जो, नो से बारह।
ऐन्यूअल फ़ंक्शन की तैयारी
जुनीयर्स वो प्यारी प्यारी
लाइब्रेरी में पढ़ने जाना
ताँका झांकी कर के आना।
दोस्तों के घर की मिठाई
याद आती खुरचन मलाई
मंगलवार को मंदिर जाना
एतवार को ढाबे का खाना।
हृदय मेरा अब तड़प रहा है
दोस्तों की है याद आ रही
समय कटे ना, दिलासा दूँ मन को
कि रह गए अब बस कुछ दिन ही।
मेरा कॉलेज मुझे बुला रहा
मन करता उड़ कर चला जाऊँ
पुत्र समान मुझे उसने प्यार दिया
दर्शन अपनी माता का पाऊँ।