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Meghna Mahato

Tragedy Inspirational Thriller

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Meghna Mahato

Tragedy Inspirational Thriller

हिमपात

हिमपात

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                                                        विगत रात मे हूआ हिमपात,

श्वेत है अम्बर, श्वेत है धरा,

शिशिर का प्रकृति कृति से आत्मसात ।

गिरते हिमकण जैसे श्वेत कपास,

ओढाते चादर मानो कर परिहास,

क्षितिज तक सब श्वेत ही श्वेत

अंत और अनंत का नही आभास !

हर वस्तु, हर रंग परआवरण श्वेत,

जीवन के यथार्थ से है करता सचेत,

विगत वर्ष मे देखे हैं कई उतार-चढाव ,

कोरी श्वेतता करे नववर्ष का संकेत।

शिक्षा थी विगत वर्ष श्यामलता,

रहे बन प्रेरणा और सहज सजगता,

श्वेताम्बर प्रकृति का यहीआह्नान ,

नववर्ष में है कोरी ,नूतन, नवलता।

 ऊँचाई से सॅभल - सॅभल कर,

झरने नीचे को आते हैं,

धरती से मिलने के पहले,

पर कोहरों में छुप जाते हैं।

हटा तनिक कोहरे की पट्टी ,

सूरज ने पल - भर को देखा,

इतने से ही कौंध गई फिर,

ओर - छोर तक झिलमिल रेखा।

सहसा द्वार खुले घर - घर के,

नभ छाये चिड़ियाँ के पाँत,

हुलस - हुलस कर ल़ोग निहारें,

इस ॠतु का पहला हिमपात।

Written by Vikas Sharma Daksh 


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