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Manoj Kumar

Romance Thriller

4  

Manoj Kumar

Romance Thriller

तुम दूर हो मुझसे!

तुम दूर हो मुझसे!

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तुम दूर हो मुझसे !

आंका नहीं जाता !

कितनी दूर हो मुझसे,

बातें कैसे करूं तुमसे !

नींद भी नहीं लगती हैं।


तो सपने ही कैसा

कैसा मेरा मिलन तुमसे !

ओर मेरा प्यार बस लगता हैं अधूरा..

कैसे करूं मैं इसे पूरा

पास आओ तो बात ही बने,

साथ तो रहूं तुम्हारे..

कभी बेचैनी न छा जाए..!


जब तुम्हारा होंठ,

मेरे होंठ से सट जाए..!

तुम दूर हो..

मैं कैसे कहूं कि तुम दूर न हो..

मैं बस चुप ही रहता हूं।


कभी तो मिलन होगी

इसी के इन्तजार में,

मैं कब से बैठा हूं..!

तुम दूर हो इसलिए,

बस तुम्हारी तस्वीर से

बातें करता हूं..!

तुम क्या जानो,


बस मेरा दर्द पहचानो..

दिल रोता तुमसे दूर रहकर,

अन्दर ही अन्दर मचलकर..!


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