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Vikas Sharma

Romance

3  

Vikas Sharma

Romance

मेरा हल

मेरा हल

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इतना टूटे, इतना बिखरे

मिला गम इतना,

जहाँ में कोई, मेरा अपना

मेरा गम, मेरा अपना।


इतना तन्हा, इतना तन्हा

मेरा हर मंजर, मेरा हर पल,

तेरे ही संग, तुझसे होके गुजरा।


इतना टूटे, इतना बिखरे

तन्हा इतने ख़ुशी क्या बस,

दो ही अक्षर

मैंने खोया इन्हें अक्सर।


इतना डूबे, इतना नशा,

बहकी जिंदगी, होश तरसे

तेरी खुशबू से ही मेरी,

साँसे महके।


इतना कायल, इतना पागल,

तेरा ही तो साहिल मैं,

तुझी को पी लूँ, तुझी को ओढूँ,

आसमां क्या है ?


मेरा तो सब कुछ –तेरा पहलू

ये लव तेरे, तेरी कशिश, तेरा यौवन

तेरी कलियों को सींचा मैंने,

खिलाया ऐसा गुलदिस्ता,

रब ने छीन लिया मुझसे।


इतना टूटे, इतना बिखरे,

इतना तन्हा

इतना कायल, इतना पागल

क्या इसका कोई हल है।


समझाए दुनिया, समझे ना,

मेरा कल, हर पल,

अगला कल, तू ही तू,

तू, तू ही मेरा हल है। 


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