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Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

मेरा गहना तुम

मेरा गहना तुम

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मेरा गहना है तुम्हारी चाहत,

हर अंग सजे है मेरे मैंने पहना है तुम्हें, 

रोशन हूँ तुमसे सजी

तुम्हारी अदाओं की

नक्काशी से झिलमिलाती.!


ये चाहत तुम्हारी कभी फैलती है

मेरे वजूद के आसमान को

अपने आगोश में लेती

कभी सिमट जाती है मुझे नंगा करती 

मैं हया की मारी तुम अंगरखे की जरी

तुमसे मैं हूँ सजी सँवरी निखरी.!


मैं गुलाबी रेशमी पर्दे

तुम्हारे दीवान की शोभा, 

तुम मेरी कायनात का सुहाना

शांत सुरम्य कोना.!


भोर में गाती वल्लरी का

राग तुम सुरीला, 

मैं मंदिर की चौखट पे सजा

दीया कोई शाम का.!


तुम हो टहनी कदंब की सूखी

मैं बाँसुरी उस टहनी से बनी.!

तुम बारिश में भीगी मिट्टी

मैं खुशबू सोंधी सी.!


तुम धूप ढलती दुपहरी की

मैं घूंट-घूंट पीती कचनार की छाँव.! 

तुम टुकड़ा प्रेम का

मैं ओढनी सा लपेट लूँ,


पहन लूँ, तुम्हें धर लूँ उर

विराजमान ईश आसन पर 

कर लूँ हर शृंगार पूरा।


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