मेरा ग़म
मेरा ग़म
याद है तुझे या भूल गया है,
तेरी दुनिया कोई छोड़ गया है..
उस घराने में कोई अपना था ही नहीं,
जिस घराने को हमने भुलाया ही नहीं...
हम मजबूर हुए फिर नई दुनिया बनाने में,
भूल गए वो ज़ब गैरों को अपना बनाने में..
नया साल बदला है,
नजर का हिसाब नहीं,
बहुत कुछ बदला है,
मोहब्बत का नाम नहीं..
गैरों की बाहों में मतलब की दुनिया बनाई है,
तू और तेरा जमीऱ खोखले दिल की गवाही है...
याद आता है वो पीपल का पेड़ और वो घरौंदा,
जहाँ जिंदगी थी और कोई अपना खिलौना...
