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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Classics

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Classics

मेरा देश संवर रहा है

मेरा देश संवर रहा है

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मेरा देश अब संवर रहा है,

देश मेरा अब बदल रहा है।

नवक्रांति का आया है युग,

देश हमारा निखर रहा है।।


हो रहा है अब परिवर्तन,

हर क्षेत्र में हो रहा सृजन।

संचार हुआ नव चेतन का,

ख़ूब हो रहा चिंतन-मनन।।


प्राचीन विडंबना है ध्वस्त,

प्रगति से लोग अब मस्त।

विषता कटुता न दिखती,

सूर्य अब न हो रहा अस्त।।


चहुँओर दिखती ख़ुशहाली,

देश में अब न है बदहाली।

पहुँचे हम मंगल ग्रह पर भी,

अब भारत की बात निराली।।


विश्व में हम बने हैं सिरमौर,

उन्नति का अब दिखता दौर।

शान से हम सर्वत्र गरजते,

निर्धनता का न देश में ठौर।।


विज्ञान व शिक्षा में पहचान,

करते हैं जो लेते हम ठान।

दुनिया में भारत का डंका,

मेरे राष्ट्र का होता सम्मान।।


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