मदहोशी
मदहोशी
मदहोशी में सोचना ये
सब कुछ कितना अच्छा है
बेखुदी में भ्रम पालना
सब कुछ कितना अच्छा है।
होश में आना आँखें खोलना
फिर काँप जाना सच्चा है
जान लेना क्या है ग़लत
और क्या कुछ कितना अच्छा है।
मदहोशी में सोचना ये
सब कुछ कितना अच्छा है
बेखुदी में भ्रम पालना
सब कुछ कितना अच्छा है।
होश में आना आँखें खोलना
फिर काँप जाना सच्चा है
जान लेना क्या है ग़लत
और क्या कुछ कितना अच्छा है।