niraj shah
Others
पैरों में बेड़ियाँ हालात की
आँखों में दौड़ के सपने
फिसलते पल लिए मुट्ठी में
सरकते साल के सपने
नहीं जानता ये होंगे के नहीं
इस ज़माने को क़ुबूल
इस दौर में निकला हूँ लिए
उस दौर के सपने
बारिश की बूँद...
बारिश
दौड़
तिजारत
सौगात तेरे सा...
ख्वाब
प्यार से सींच...
एहसान
भ्रम
सुकून