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niraj shah

Tragedy

3  

niraj shah

Tragedy

बारिश

बारिश

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बूंदों से शुरू हुई फिर, बारिश जम गयी 

ख्वाहिशों को बहाया और फिर थम गयी।


पहले ज़ख्म दिया, फिर दर्द, देखा न गया 

लहू में डूबी उंगलियां, लगाकर मरहम गयी। 


खुशफहमियों के आसमान में उड़ रहा था मैं 

बातें कुछ उनकी, मेरा तोड़कर भ्रम गयी।


ख़्वाबों का उन्वान रखा फिर उसे तोड़ दिया 

अधूरी छोड़ के कुछ ऐसे, वो मेरी नज़्म गयी।


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