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niraj shah

Others

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niraj shah

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ख्वाब

ख्वाब

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कर दो तुम ये सिफारिश, मुझे नींद आ जाए 

ख्वाब मायूस लौटे नहीं, मुझे नींद आ जाए 


मैं जानता हूँ ये, पतझड़ का मौसम है 

ज़ुल्फो को बिछा दो तुम, मुझे नींद आ जाए 


दीदार अब तुम्हारा, आसान नहीं इतना 

ख्वाबों में नजर आओ, मुझे नींद आ जाए 


मैंने रोक रखा है, क़ज़ा को मेरे दर पर  

ज़ानों पे रखने दो सर, मुझे नींद आ जाए


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