दीदार अब तुम्हारा, आसान नहीं इतना ख्वाबों में नजर आओ, मुझे नींद आ जाए दीदार अब तुम्हारा, आसान नहीं इतना ख्वाबों में नजर आओ, मुझे नींद आ जाए
कज़ा रोज़ा न हो ये सोचती है समय वो शाम बेहतर सोचती है। कज़ा रोज़ा न हो ये सोचती है समय वो शाम बेहतर सोचती है।
मैख़ाने तो पिए कई रोज़ उसकी याद में, रात ख़ास है आज अश्क़-ए-खूँ गले से जो उतरते रहे... मैख़ाने तो पिए कई रोज़ उसकी याद में, रात ख़ास है आज अश्क़-ए-खूँ गले से जो उतरते रहे....
वबा* ख़त्म हो जाए यारा दुआ कर। कज़ा* से बचे ये ज़माना, दुआ कर। वबा* ख़त्म हो जाए यारा दुआ कर। कज़ा* से बचे ये ज़माना, दुआ कर।