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मौत उधार लाते हैं

मौत उधार लाते हैं

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हा हा !!

अरे सच,

आज उस पार हो के आते हैं।

चलो न, मौत माँग लाते हैं।


कि बहुत से रोते फिरते हैं,

हम बिखर गए हम बिछड़ गए,

उनसे कहो,

चलो महबूब से मिल के आते हैं,

मौत माँग लाते हैं।


तो पागल लड़की मर के क्या करेगी,

ये जान कहाँ ले के फिरेगी,

जी अब जान किसी और की थी,

चलो उसी को दे के आते हैं,

मौत माँग लाते हैं।


हम नाव पे बैठेंगें,

अच्छा जी, फिर ?

फिर जब मन कर करेगा जिएँगे,

नहीं तो पानी में तर जाएँगे।


चल, पानी पे भी कोई तरा है भला ?

ऐसे भी कोई मरा है भला ?

क्यूँ ? देखा नहीं है ?

लाशों को तरते हुए ?


मैं तुम्हे अब भी जिंदा,

समझ पड़ती हूँ ?

चलो मेरे शहर घूम के आते हैं,

मौत माँग लाते हैं।


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