हँसके दिखाओ
हँसके दिखाओ


रेगिस्तान से तुम ओस निचोड़ के,
सुखी नदियों में अश्क बाहाओ,
अपनी रंगीन दुनिया उजाड़ के,
एक बेरंग संसार बसाओ।
अब ठंडक से दिल जलता है,
ज़रा धूप से छाँव माँग लाओ।
हँसके दिखाओ।
हँसके दिखाओ कि काफी समय हुआ
कुछ अबोध नहीं देखा।
इतना क्रूर होके
जो मासूमियत का क़त्ल किया हो।
मैंने खुद सा क्रोध नहीं देखा,
सागर समान तुझे फेंक आती हूँ
मैं किनारे हर शाम,
तुझ सा कोई जलोध नहीं देखा।
कि अभी दिल
भरा नहीं है कातिल का,
थोड़ा सा और मरके दिखाओ।
हँसके दिखाओ।