मौत करीब खड़ी है
मौत करीब खड़ी है
मौत करीब खड़ी है,
जरा ठहर जाओ
आँखें खोलो, देखो उसे
कितनी खूबसूरत है
महबूब की तरह
देख लिए तो गुजर जाओ
मौत करीब खड़ी है,
ज़रा ठहर जाओ !
डर रहे हो क्यूँ
तुम अपने ही आप से,
नफ़रत है क्यूँ
तुम्हें अपने ही ख़्यालात से,
लोगों की हिंसक सोच
अपने दिमाग़ से,
निकाल फेंक आओ
मौत करीब खड़ी है,
ज़रा ठहर जाओ....!