मौत को निमंत्रण
मौत को निमंत्रण
आज मिला है मौका तुमको,
फिर कभी नहीं मिल पाएगा,
काट-काटकर जला दो पेड़,
मूर्ख तू इक दिन पछताएगा।
आक्सीजन जब नहीं मिलेगी,
सांस अचानक बंद हो जाएगा,
घूमता नजर आयेगा सब कुछ,
सुध बुध खोकर गिर जाएगा।
प्रलय का समंदर फिर आये,
नैया हिचकोले फिर खाएगी,
कोई ना बचा पाएगा तुझको,
मौत तांडव करती तब आएगी।
आगोश में ले लेगी मौत तूझे,
वो पूछेगी तुझ से एक सवाल,
बहुत काट डाले हैं पेड़ पौधे,
सजा मिल रही हो बदहाल।
अगर पेड़ पौधे लगा लेता तो,
धरती का बढ़ जाता सम्मान,
जिंदगी तेरी बच जाती फिर,
बढ़ जाता जन जन का ज्ञान।
सोच ले वक्त अभी है पगले,
फिर नहीं समय मिल पाएगा,
रो रो दुख पाकर मरेगा फिर,
पाषाण युग फिर से आएगा।।