अखबार
अखबार
अख़बार की सुर्खियां बनने के लिए लोग ना जाने कितने जतन करते हैं,
कुछ उतार देते हैं कपड़े, कुछ बेईमानी का चोला पहने फिरते हैं।
कुछ मंदिर को नीलाम करते हैं, कुछ मस्जिद को बदनाम करते हैं।
हर आम मुद्दा अखबार में छपकर खास बन जाता है।
खबरों के नाम पर सिर्फ अश्लीलता और अपराध परोसा जाता है।
हर खबर को जहाँ सनसनीखेज़ बनाया जाता है।
पता नहीं कैसी पत्रकारिता है यह, जहाँ दर्द पर
मरहम नहीं, दर्द को मसालेदार बनाया जाता है।