इश्क
इश्क
तू तल्ख़ करनी मुझसे बात छोड़ दें !
करनी ग़मों की ये बरसात छोड़ दें
देकर मुझे वफ़ा का नाम तू मगर
मेरा कहीं न तू ये हाथ छोड़ दें
तू प्यार की ख़िज़ां कर रोज़ ए सनम
नफ़रत की करनी तू सौगात छोड़ दें
वरना रिश्ता वफ़ा का फ़िर जुड़ता नहीं
तू छेड़ने दिल के नग्मात छोड़ दें
दें तू वफ़ा की ख़ुशबू सांसों की सदा
करनी दग़ा की तू ये मात छोड़ दें
जी पल ख़ुशी के ग़म तू भूलकर सभी
तू यें ग़मों भरे हालात छोड़ दें
तू लौट आ दिन के दिन गांव को आज़म
रहना नगर उसके तू रात छोड़ दें।
Aazam nayyar