मौसम बदलते है
मौसम बदलते है
मौसम बदलते है
अपने समय पर
आते जाते है ।
एक वो है समय
के हिसाब से
नही ढलते है ।
बस मौसम को
दोष देते रहते है ।
मौसम गर्मी का है
गर्मी तो पड़ेगी ।
अपना कोटा भी
समय पर पूरा करेगी ।
थोड़ी गर्मी ज्यादा
क्या पढ गई बस
सभी का जीना
मुश्किल कर गई ।
आज का हर इन्सान
कूलर पंखो का
आदि हो गया है ।
तभी तो गर्मी से
डर गया है ।
हर मौसम की मार
किसान ही सह पाता है ।
ठंड गर्मी या बरसात हो
खेतो मे काम करता है।
मेहनत से अपने शरीर
का पसीना बहाता है ।
कभी गर्मी या ठंड से
कभी नही डरता है ।
अपना हर काम
समय पर करता है ।
किसी मौसम की
मार से नही डरता है ।
मौसम के बदलते
मिजाज को समझता है ।
मेहनती किसान जो होता है...!