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VanyA V@idehi

Fantasy

4  

VanyA V@idehi

Fantasy

मौनसून की फुहार

मौनसून की फुहार

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अब भीषण गर्मी के उपरांत 

मौनसून की टोली झुमकर आ रही है,

तनमन पर बारिश की फुहारें,

प्रकृति पर हरियाली छा रही है.


बदलते मौसम का अंदाज

बहुत रंग ला रहा है। 

वायू मंडल में घटाओं को

जो बिखेर रहा है। 


पेड़ पौधे फूल पत्ती आदि

 लहरा रहे है। 

और मंद मंद हवाओं से

खुशबू को बिखर रही हूँ।। 


नजारा देख ये जन्नत का

किसी की याद दिला रही हूँ। 

नदी तालाब बाग बगीचा भी

अपनी भूमिका निभा रही हूँ। 


ऐसा लग रहा है जैसे 

मेहबूबा को स्वर्ग में घूमा रहा। 

और मोहब्बत के बारे में 

अकेला सोच रही हूँ।। 


वर्तमान में भूत की बातें

बैठकर सोच रही हूँ। 

सपनों और कल्पनाओं के 

सागर में बहा रही हूँ। 


इसलिए खुदको हसीनवादियों में

घूमा रही हूँ। 

और मेहबूब को मोहब्बत की 

याद दिला रही हूँ।। 


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