मौन
मौन
मौन में बहुत शक्ति है
हमारी शापित जुबां से कहीं ज्यादा।
मानो या न मानो
यही मौन जब मुखर हो जाता है
तो बरपा जाता है क़यामत
पलट जाती है बाज़ी
आ जाती है ज़माने की शामत।
इसलिए, मौन से डरो !
शोर मचाना बहुत आसान है
पर सन्नाटा भयावह होता है।
कभी ठहरे जल को देखा है
पत्थर फेंको
सतह पर वह विचलित अवश्य होता है
पर भीतर गहराई में
वहाँ शांति है – अभेद्य
और एक प्रवाह है – अजस्र
जो कभी थमता नहीं
हालांकि दिखता भी नहीं।
