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नम्रता सिंह नमी

Tragedy

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नम्रता सिंह नमी

Tragedy

मौन सा मेरा बिखरना

मौन सा मेरा बिखरना

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न आंखे बही न ही पलकें थकी

मौन हो कर बंद हो गई

बरसों एक अभिलाषा ने धीमे धीमे 

अपनी साँसों का त्याग किया

शब्द भी बगावत कर गए

जब भी चाहा कुछ कहना कह न पाए

पाबंदी मान की थी

परवाह अपनो की थी

और फिर

मेरा बिखरना मौन ही रहा

धीमे से चुपके से

बिन कहे बिन जले

शांत सा शांत होता ही गया

मेरा बिखरना मौन होता ही गया।




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