मौन सा मेरा बिखरना
मौन सा मेरा बिखरना
न आंखे बही न ही पलकें थकी
मौन हो कर बंद हो गई
बरसों एक अभिलाषा ने धीमे धीमे
अपनी साँसों का त्याग किया
शब्द भी बगावत कर गए
जब भी चाहा कुछ कहना कह न पाए
पाबंदी मान की थी
परवाह अपनो की थी
और फिर
मेरा बिखरना मौन ही रहा
धीमे से चुपके से
बिन कहे बिन जले
शांत सा शांत होता ही गया
मेरा बिखरना मौन होता ही गया।
