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ARVIND KUMAR SINGH

Abstract Romance Fantasy

4.4  

ARVIND KUMAR SINGH

Abstract Romance Fantasy

मौजों का दरिया

मौजों का दरिया

1 min
353


बस एक बार तुम हमको

अपने करीब तो आने दो  

हुस्न के जलवों से थोडा़

सकून भी तो चुराने दो


दूर हो खिंचे खिंचे से क्यों 

दूरियां सभी मिट जाने दो

तपिश को अपने सांसों की

मेरी सांसों में घुल जाने दो


जिव्‍हा बने जो कश्ती फिर

कश्ती से कश्ती टकराने दो

खेल जो जीत हार से ऊपर 

खिलाड़ी हमें बन जाने दो


इस एक पल मेंं हर खुशी

सौ जन्मो की समाने दो

अधूरा न रहे अरमान कोई

हर एक पूरा हो जाने दो


मौत भले फिर जो आए

तो मंजूर हमें आ जाने दो

आगोश तेरा मौजों का दरिया 

इसमें हमको बह जाने दो


आ जाओ और भी पास मेरे

या मुझको पास में आने दो


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