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ARVIND KUMAR SINGH

Abstract Romance Fantasy

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ARVIND KUMAR SINGH

Abstract Romance Fantasy

मौजों का दरिया

मौजों का दरिया

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बस एक बार तुम हमको

अपने करीब तो आने दो  

हुस्न के जलवों से थोडा़

सकून भी तो चुराने दो


दूर हो खिंचे खिंचे से क्यों 

दूरियां सभी मिट जाने दो

तपिश को अपने सांसों की

मेरी सांसों में घुल जाने दो


जिव्‍हा बने जो कश्ती फिर

कश्ती से कश्ती टकराने दो

खेल जो जीत हार से ऊपर 

खिलाड़ी हमें बन जाने दो


इस एक पल मेंं हर खुशी

सौ जन्मो की समाने दो

अधूरा न रहे अरमान कोई

हर एक पूरा हो जाने दो


मौत भले फिर जो आए

तो मंजूर हमें आ जाने दो

आगोश तेरा मौजों का दरिया 

इसमें हमको बह जाने दो


आ जाओ और भी पास मेरे

या मुझको पास में आने दो


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