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Ajay Singla

Inspirational

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Ajay Singla

Inspirational

मैं

मैं

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अहंकारी और अज्ञानी मैं 

शरणागत आया तुम्हारी 

आसक्तियाँ मेरी दूर करो 

विपत्तियाँ हर लो मेरी सारी 

मैं राजा हूँ, रानी हूँ मैं 

जानूँ मैं ये पद सब झूठे 

हे प्रभु, बतलाओ मुझको 

कैसे मेरी मैं ये छूटे ।


मन भटक रहा विषयों में 

बहुत घना है अन्धकार ये 

दूर तक उजाला ना दिख रहा 

दूर करो सत्य की किरणों से 

कैसे मैं पाऊँगा तुमको 

ईश मेरे, क्यों मुझसे रूठे 

हे भगवन, बतलाओ मुझको 

कैसे मेरी मैं ये छूटे ।


समय बड़ा ही बलशाली है 

काल के गाल में पड़ा मनुष्य ये 

कब निकलेगा, कोई ना जाने 

जन्म मृत्यु के इस चक्र से 

योग करूँ या ध्यान करूँ मैं 

कर्म करूँ मैं क्या अनूठे 

हे सर्वेश्वर, बतलाओ मुझे 

कैसे मेरी मैं ये छूटे ।


पालन पोषण में लगा रहा

स्त्री, पुत्र, अपने शरीर के 

पता चला ना, जीवन बीत गया 

भरमाया तेरी माया ने 

थोड़ी थोड़ी अब सुध आ रही 

असत्य के कुछ शीशे टूटे 

हे परमेश्वर, बतलाओ मुझे 

कैसे मेरी मैं ये छूटे ।


संसार सागर में डोल रहा हूँ 

कैसे पाऊँ इससे मुक्ति मैं 

अब तक तुमको पाया ना मैंने 

इसके लिए करूँ क्या युक्ति मैं 

फैला दो प्रकाश पुण्य का 

पाप से तो तुम रहो अछूते 

हे हरि, अब तो बतलाओ 

कैसे मेरी मैं ये छूटे ।


परम सत्य तुम, तुम अनित्य हो 

आत्मा हो तुम ही सबकी 

कैसे मैं पाऊँ तुम्हारी 

अखण्ड और अनन्य भक्ति 

कृपा तुम परमात्मा की 

जी भर भर कर कब हम लूटें 

हे प्रभु बतलाओ मुझको 

कैसे मेरी मैं ये छूटे ।


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