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Dr. Tulika Das

Inspirational

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Dr. Tulika Das

Inspirational

मैं तो बस उड़ना चाहती थी

मैं तो बस उड़ना चाहती थी

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मैं तो बस उड़ना चाहती थी

पंख लगाए आसमानों में

संग चिड़ियों के

मैं भी दौड़ लगाना चाहती थी

उगती हुई सूरज की किरणों को

मैं छूना चाहती थी

मैं तो बस उड़ना चाहती थी।


अकसर मेरी खिड़की पर

नीला आसमान झुक जाता था

थाम कर बाहें मेरी

मुझे साथ चलने को कहता था

मैं तो बस नीले आसमान में खो जाना चाहती थी

रंग नीला ओढ़ कर

मैं भी आसमान बन जाना चाहती थी।


तोड़ कर सारी बंदिशे

मैं जीना चाहती थी

सांस सांस पर जो पहरा लगा था

हर कैद से मैं निकलना चाहती थी

मैं तो बस खुली हवा में बहना चाहती थी।


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