याद कर वीरों की अदम्य गाथाएं
याद कर वीरों की अदम्य गाथाएं
हो सजग राष्ट्र के धरोहरों,
अपने कर्तव्यों को पहचानो।
समय का पहिया क्या कहता है
राष्ट्र की जिम्मेदारियों को मानो।
मानवता के दीप जलाकर,
प्रेम का उजियाला फैला दो।
झूठ कपट की दीवार ढहा कर,
इंसानियत की बयार बहा दो।
मातृभूमि के रजकण से,
नफरत का तिमिर हटा दो।
दिलों की सरज़मीनों पर मेहर बरसा,
हर सीने में प्रेम हिलोर बहा दो।
मिटाकर भेदभाव दूरियां,
नफरतों की गुबार मिटा दो।
मजहब की दीवारें गिरा कर,
हर दिलों में रैन बसेरा बना लो।
द्वेष के तूफानों से,
भरोसे की नैया बचा दो।
जो डगमगाए कश्ती भाईचारे की,
थामने को पतवार हर हाथ उठा लो।
नफरतों की दीमक से,
देश की दीवार बचा लो।
जानकर एक मिट्टी के बाशिंदे,
अमन और शांति का पहरा लगा लो।
एक एक पल की कीमत जान,
सोने सा अपना वक्त बचा लो।
पंच इंद्रियों को जागृत कर,
स्वयं को नशे से बचा लो।
प्रतिभा बचेगी राष्ट्र बचेगा,
देश पलायन से मुक्ति पा लो।
राष्ट्र हित में कदम बढ़ाना,
जीवन का ध्येय बना लो।
प्राकृतिक संपदा कितनी मिली है,
इस तथ्य को भी पहचानो।
संचित कर अमूल्य निधि को,
देश को सोने की खान बना दो।
गर टेढ़ी हो दुश्मन की बदनाम नजरें,
अपने राष्ट्र पर जान लगा दो।
महक फैला भाईचारे की फिजाओं में,
आंखों में दुश्मन के खौफ बसा दो।
याद कर वीरों की अदम्य गाथाएं,
सिर नमन में उनके झुका लो।
फिर से बनाएंगे सोने की चिड़िया,
राष्ट्र की यही शपथ उठा लो।