मैं तेरी
मैं तेरी
मैं तो मैं रही नहीं,
बस तुझमे ही खो गयी हूँ,
जब से जाना प्रियतम,
बस तेरी हो गयी हूँ,
वह ही तो प्रियतम,
हर मन मे जो रहता है,
विराज अंतस में,
बस प्रेम ही प्रेम देता है,
डूब कर इस प्रेम में,
मैं दीवानी हो गयी हूँ,
कण कण में देख तुझे,
बस तेरी ही हो गयी हूँ।।

