लिखते हैं हम अपने अंतस मन के खोह में दबे हुए अनगिनत भावनाओं को। लिखते हैं हम अपने अंतस मन के खोह में दबे हुए अनगिनत भावनाओं को।
मैं तो मैं रही नहीं, बस तुझमे ही खो गयी हूँ। मैं तो मैं रही नहीं, बस तुझमे ही खो गयी हूँ।
जिसको पीकर सीप तृप्त हो, मैं वह एक बूँद बन जाऊँ । जिसको पीकर सीप तृप्त हो, मैं वह एक बूँद बन जाऊँ ।
दे जाती है मुझे शब्द और मेरी कल्पना का अविरल रूप बन जाती है। दे जाती है मुझे शब्द और मेरी कल्पना का अविरल रूप बन जाती है।