STORYMIRROR

Sarita Kumar

Romance

4  

Sarita Kumar

Romance

पूंज

पूंज

1 min
347

लिखते हैं हम 

अपने अंतस मन के खोह में दबे हुए अनगिनत भावनाओं को 

तो कभी दूसरों के मन की अनकही पीड़ा को 

कभी कभी अनुभूति जन्य उल्लास को भी और कभी ....

बिताए हुए हसीन पलों को 

कुछ बिसराए हुए लम्हों को 

कुछ आधे अधूरे से कच्चे एहसास को भी 

जिसे बेख्याली में बांध लिया था दुपट्टे के एक कोर से  

जो अब तलक न छूटा दूसरे छोर से .......!

लिखते हैं हम 

अपने अंतस मन के खोह में पल्लवित पुष्पित उस पूंज को 

जो किस्तों में मिलता रहा उम्र भर हमें 

तृप्त करता रहा , दामन भरता रहा हौले-हौले ....!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance