मैं सुरक्षित नहीं हूं मां
मैं सुरक्षित नहीं हूं मां
मैं सुरक्षित नहीं हूं मां,
मुझे इस धरती पर मत जन्मो मां,
इस धरती पर नोची जाती हैं बेटियां।
मैं भी तेरी प्यारी सी गुड़िया,
अब नहीं रहीं सुरक्षित इस दुनिया में।
कभी दामिनी,तो कभी आसिफा,
और आज मैं प्रियंका मां,
नहीं सहा जाता अब दुख
एक बेटी होने का
इन हैवानों की दुनिया में ,
इन भरी बाजारों में ,
दरिंदगी की सीमा पार हुए
अनेकों रास्तों में,
अब नहीं रही सुरक्षित इस दुनिया में।।
अब नहीं सहा जाता दर्द एक बेटी होने का,
कभी अम्ल प्रहार,
तो कभी अग्नि से में लपेटे जाना ,
बस अब नहीं सहा जाता मां।
मैं तेरी आंचल का लाज,
तू मेरा अभिमान,
यूं होते मेरे चीथड़े शरीर का
देख पाओगी मां?
द
ेख कर मेरा लुटी आबरू
क्या खुद को संभाल पाओगी मां?
कितनी बार कोशिश की
मैंने खुद को बचा पाऊं,
उन बढ़ती हाथों को
अपनी तरफ मैं काट पाऊँ,
पर मै अकेली चीखती चिल्लाती
हार गई खुद से और उनसे ,
यह तकलीफ झेली मैंने
तुमको कैसे यह बात सुनाऊं मां।
उस अंधेरी रातों में
उस सुनसान सड़क पर,
नहीं रहा अस्तित्व मेरा
मैं रह गई अकेली मां,
किया विलाप आखिरी सांस तक ,
पर दया उनको न आई मां।।
उस हवस के दरिंदगी ने
लूट लिया सर्वस्व मेरा
है दुःख कितना एक बेटी होना
कैसे ये बताऊं मां,
बस एक बात मानो मां
आखिरी बात मानो,
कि सुरक्षित नहीं है बेटियां ,
मुझे इस धरती पर मत जन्मो मां।।