चिंगारी कलम की
चिंगारी कलम की
यू तो मुमकिन नहीं है खाली हाथ समर में जाने के लिए ,
बस एक कलम चाहिए ये जंग जीत जाने के लिए।
ये मुनासिब नहीं है कि चिंगारी सिर्फ़ तलवार में पैदा होती है ,
बस एक कलम उठा के तो देखो चिंगारी कैसे पूरे आवाम में पैदा होती हैं।
यू तो मयस्सर नहीं की अकेले ही ज़माने से लड़ जाऊ,
अगर साथ दे कलम तो कुछ हद तक कर गुजर जाऊ।
मलिकियत उनकी तो देखो कैसे खड़े है राह में रोड़ें बनकर ,
जब हद से गुजर जाए काफ़िला तो मिटी में मिल जाएंगे ख़ाक बनकर ।
ज्यादा ना सही दो गज जमीं चाहिए खाक में मिल जाने के लिए ,
बस एक कलम चाहिए पूरे जमाने में आग़ लगाने के लिए ।।