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Ritu Agrawal

Classics

4.8  

Ritu Agrawal

Classics

मैं सिर्फ़ गृहणी हूँ.......

मैं सिर्फ़ गृहणी हूँ.......

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लोग कहते हैं कि

मैं कुछ नहीं करती हूँ।

मैं एक गृहणी हूँ।

घर में सोती रहती हूँ।


बच्चे अपने आप पल जाते हैं।

घर अपने आप संवर जाते हैं।

पकवान अपने आप पक जाते हैं।

बुजुर्ग अपने आप संभल जाते हैं।


सामान सही जगह,

अपने आप पहुँच जाते हैं।

रिश्ते अपने आप निभ जाते हैं।

मकान से घर अपनेआप बन जाते हैं।


मैं सचमुच कुछ नहीं करती,

बस अपना तन-मन-जीवन झोंक देती हूँ

यही सुनने को, कि दिनभर क्या करती हूँ ?

सब कहते हैं तो शायद मैं सोती ही रहती हूँ।

मैं किसी से कुछ नहीं कहती हूँ।


हर बार आँखों में नमी लेकर मुस्करा देती हूँ ,

क्योंकि मैं एक गृहणी हूँ।

सिर्फ़ एक गृहणी हूँ।।


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