STORYMIRROR

Gaurav Dwivedi

Romance

4  

Gaurav Dwivedi

Romance

मैं शब्द-शब्द तुम छन्द-छन्द-२

मैं शब्द-शब्द तुम छन्द-छन्द-२

1 min
264

ॐ जय श्री राधे-कृष्णा ॐ


मैं शब्द-शब्द तुम छंद-छंद

मैं प्रेमगीत तुम राग-राग

मैं हूँ जिस प्यारे बंधन में

तुम उस बंधन की डोर-डोर

मैं हृदय बिना स्पंदन का

तुम ही उसकी हर धड़कन हो

मैं पग भर भी गतिमान जो हूँ

तुम ही हर पग में प्राण-प्राण

मैं शब्द-शब्द तुम छंद-छंद

मैं प्रेमगीत तुम राग-राग!


मैं हूँ इक आवारा भंवरा

तुम ही उस भँवरे की गुंजन

मैं ढूंढूं जिसको कली-कली

तुम ही वो पुलकित पंग-पराग

मैं लालायित जिस मधुरस का

तुम ही वो मधुमय मधुरस हो

मैं शब्द-शब्द तुम छंद-छंद

मैं प्रेमगीत तुम राग-राग!


मैं हूँ पूजा का दीप अगर

तुम ही हो उसकी दिव्य ज्योति

मैं हूँ यदि पूजा में चन्दन

तुम ही उसकी पावनता हो

मैं हूँ पूजा का जल प्याला

तुम ही उसमें गंगा जल हो

मैं शब्द-शब्द तुम छंद-छंद

मैं प्रेमगीत तुम राग-राग!


मैं दीद तुम्हारा जब चाहूँ

तुम तब नज़रों के सम्मुख हो

मैं जब तुमको पाना चाहूँ

तुम दिखतीं सभी दिशाओं में

मैं मन मंदिर में जब देखूँ

तुम ही उसमें मूरतमय हो

मैं शब्द-शब्द तुम छंद-छंद

मैं प्रेमगीत तुम राग-राग!


मैं हूँ यदि प्याला मय का तो

तुम ही पूरी मधुशाला हो

मैं हूँ यदि मदिरा प्यालों की

तुम ही मदिरा का हर रंग हो

मैं घूँट-घूँट यदि मय का हूँ

तुम घूँट-घूँट मय का सुरूर

मैं शब्द-शब्द तुम छंद-छंद

मैं प्रेमगीत तुम राग-राग!


मैं शब्द-शब्द तुम छंद-छंद

मैं प्रेमगीत तुम राग-राग!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance