चाँदनी रात!!
चाँदनी रात!!
वो पूनम की रात सुहानी
याद तुम्हें अब भी होगी
रात चाँदनी निर्झर बरसे
भीग रहे हम दोनों थे
अविरत झरते प्रीत के रस में
सराबोर हम दोनों थे
वो पूनम की रात सुहानी
याद तुम्हें अब भी होगी!
वो आँखों ने मिल आंखों से
मधुशाला छलकायी थी
प्रीत की छलकी मधुमय मय ने
मादकता बिखराई थी
प्रीत की मय से हमदोनों पर
इक मदहोशी छायी थी
वो पूनम की रात सुहानी
क्या याद तुम्हें अब आयी है?
आपस में हमदोनों की जब
साँस-साँस टकराई थी
प्रीत की इक मादक सुगन्ध की
पुरवाई बह आयी थी
अधरों ने अधरों में घुलकर
प्रेम अगन दहकायी थी
वो पूनम की रात सुहानी
क्या तुमसे मिलने आयी है?
वो चंचल चाँदी की रजनी
याद तुम्हें अब भी होगी, जब
एक शरारत भर आंखों में
प्रेम कली मुस्काई थी
और कहीं कुछ शेष नहीं था
केवल शेष बचे थे हमतुम
वो पूनम की रात सुहानी
क्या तुम्हें सताने आयी है?
वो पूनम की रात सुहानी
याद तुम्हें अब भी होगी
वो पूनम की रात सुहानी!!