मेरा परिवार !
मेरा परिवार !


जहां वाणी में मधुता हो
कहीं कोई न कटुता हो
हृदय सागर से गहरा हो
दिलों में खूब ममता हो
प्रकृति जैसा जहाँ सबके दिलों में
त्याग बसता हो
जहाँ अम्बर के जैसा ही
हृदय में सब्र पसरा हो
जहाँ माता-पिता की नित
प्रभू जैसी ही पूजा हो
जहाँ नारी को देवी की तरह
सम्मान मिलता हो
बड़े-छोटों को भी समुचित
जहाँ पर मान मिलता हो
जहाँ हर व्यक्ति के अंतर में
सेवाभाव रहता हो !
मेरा परिवार ऐसा हो
जहाँ सम्मान बसता हो
जहाँ सत्कार रहता हो
जहाँ बस नेह बहता हो
जहाँ संयम की गंगा हो
जहाँ धीरज की जमुना हो
जहाँ संकल्प का हिम हो
जहाँ टकराव का तम हो
न तृष्णा हो, न कुण्ठा हो
न कोई भी विकलता हो
मेरा परिवार ऐसा हो
जहाँ सहयोग पलता हो
परस्पर साथ चलता हो
मेरा परिवार ऐसा हो
मेरा परिवार ऐसा हो !